ये कुण्ठाएँ और अवसाद
प्रकृति का प्रारुप हैं
मानव जाति का बरसों का अर्जन
स्खलित होती आशाएँ
चिंताओं के मेघ प्लवित हैं
व्यथा और वासना की भृकुटि ताने
मनुष्य का रक्त रंजित इतिहास
मोहनजोदाड़ो का उदभव
यूनान की दासी असभ्यताएँ
वैनेज़ुएला, नागासाकी, हिरोशिमा
सब 'मानवीय' हैं धरती पर
पूर्वनियोजित, पूर्वनिर्धारित प्रकृति द्वारा,
ज्वालामुखी की तरह प्राकृतिक
मनुष्य निर्दोष है..
ये कुण्ठाएँ और अवसाद
प्रकृति का प्रारूप हैं !!!
नवेद अशरफ़ी
21 मई, 2014

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