न जज़्बात हैं
बेज़ौक़ से लम्हात हैं
न आब है, न वात है
बस निर्वात है, निर्वात है।
टोपी के उपदेश में
चोटी के संदेश में
तस्बीह-ओ-ज़ुन्नार में
घण्टा-ओ-मीनार में
दीप में और ईद में
दोस्तों की दीद में
अब कहाँ वो बात है
निर्वात है, निर्वात है !!
नवेद अशरफ़ी
04 सितम्बर 2012
बेज़ौक़ से लम्हात हैं
न आब है, न वात है
बस निर्वात है, निर्वात है।
टोपी के उपदेश में
चोटी के संदेश में
तस्बीह-ओ-ज़ुन्नार में
घण्टा-ओ-मीनार में
दीप में और ईद में
दोस्तों की दीद में
अब कहाँ वो बात है
निर्वात है, निर्वात है !!
नवेद अशरफ़ी
04 सितम्बर 2012
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