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प्रार्थना



राग, द्वेष, चिंता से मुक्त सब हो जाएँ प्रभु,
सत्य की  दिव्य शक्ति का चमत्कार होना चाहिए.१

तिमिर का नाश करने की प्रभु शक्ति आ जाये  तो,
तेरी उज्जवल ज्योति से मन प्रकाशमय होना चाहिए.२

वैभव और ऐश्वर्ये में अंधे न हम होवें कभी,
तेरे स्वर्ग रुपी धन का हमें ज्ञान होना चाहिए. ३

स्वार्थ एवं लोभ से दूर हमें रखना हे नाथ,
प्राणी सेवा ही जीवन का आधार होना चाहिए.४

भव्य प्रथ्वी लोक की सुन्दरता है अल्प अति,
अब तेरे मोहक रूप का दर्शनपान होना चाहिए. ५

सम्पूर्ण विश्व में कुछ अपना भी मान होना चाहिए,
भारतीय संस्कृति का सम्मान होना चाहिए. ६

(नवेद अशरफ़ी, 03 मार्च 2003)

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